http://www.attitude-status.ml/sitemap.xml?page=1http://www.attitude-status.ml/sitemap.xml?page=2 Hindi SMS, Royal (Nawabi) Urdu Sher, 2 Liners, Shayri, Kavita, Ghazal, Shayri Collection in Hindi Font Part-37 - Tanveer Malik - Attitude Status | and All Type Poetry

Tanveer Malik - Attitude Status | and All Type Poetry

Urdu Poetry, Urdu Sad Poetry, Urdu Romantic Poetry, Sad Urdu Poetry, Romantic Poetry, Heart Touching Poetry, Love Poetry, New Urdu Poetry, Urdu Ghazal, Urdu Ghazal Poetry, Ghazal Poetry, Pashto Poetry, Pashto Sad Poetry, Pashto Romantic Poetry, Sad Pashto Poetry, Romantic Pashto Poetry, Attitude Status, Attitude Status In Hindi and Urdu , ETC

BREAKING NEWS

LightBlog

Breaking

Sunday, March 19, 2017

Hindi SMS, Royal (Nawabi) Urdu Sher, 2 Liners, Shayri, Kavita, Ghazal, Shayri Collection in Hindi Font Part-37

यादो की शाल ओढकर वो आवारा गरदियाँ
कुछ यूँ भी गुजारी है हमने दिसम्बर की सर्दियाँ.,.!!



आज फिर वो ख़फ़ा है..
खैर...कौन सा ये पहली दफा है.,.!!



अरे बददुआये … किसी ओर के लिए रख,
मोहब्बत का मरीज हूँ, खुद ब खुद मर जाऊँगा…!!



रजाईयां नहीं हैं....उनके नसीब में...
गरीब गर्म हौंसले ओढ़कर सो जाते हैं..!!




रात भर महका कमर मेरा मोगरे की ख़ुश्बू से
बहुत दिनों बाद मेरे ख्वाबों में तुम आये थे...!!




ए दिसंबर तू भी मेरे जैसा ही है,
आख़िरी में आता है सबको ख़याल तेरा,.,!!



कौन कहता है वक़्त मरता नहीं
हमने सालों को ख़त्म होते देखा दिसंबर में,.,!!



याद-ए-यार का मौसम और सर्द हवाओं का आलम
ऐ दिल जरा सम्हल के दिसंबर जा रहा है,.,!!




ऐ दिल! चुप हो जा बस बहस ना कर
उसके बिना साल गुजर गया "दिसंबर और गुजर जाने दे,.,!!



काश के कोई मेरा अपना सम्भाल ले मुझको,
बहुत थोड़ा रह गया हूँ में भी दिसंबर की तरह,.,!!



एक और ईंट गिर गई दीवार-ए-जिंदगी से:
नादान कह रहे हैं, नया साल मुबारक हो.,.!!



तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया,.,!!



वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इसकी भी आदमी सी है..!!



ये साल भी उदासियाँ दे कर चला गया
तुमसे मिले बग़ैर दिसम्बर चला गया,.,!!



एक चिनगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है !!



बस तुम्हें पाने की अब तमन्ना नहीं रही,
मोहब्बत तो आज भी बेशुमार करते हैं...!!!



सुनो ,
हम मर मिटे हैं तुम पर...
आओ वो "क़ुबूल" "क़ुबूल" "क़ुबूल" वाला रिश्ता जोड़ें...!!!



उलझा रही है मुझको,यही कश्मकश आजकल;,
तू आ बसी है मुझमें, या मैं तुझमें कहीं खो गया हूँj.



नक़ाब उठ गया महफिल में तेरे आने से..
हिजाब मिट गया इक नज़्म गुनगुनाने से..
जमाल घुल गया था इस क़दर फ़िज़ाओं में....
शराब बन गया पानी तेरे नहाने से...



रक़ीबों के खंज़र से डर नही लगता अब (रक़ीबों=दुश्मनों)
दिल परेशां है अपनों के गैर हो जाने से




No comments:

Post a Comment